अलाल्ह ! आज़ में फिर से अपनी ज़मीं पर खड़ा हूँ .....................
मेरे दोस्त मुझे युहीं संभाले रखना .......................
अमृता जी मुझे माफ़ कर दो ...................बड़ा ही बदतमीज़ बच्चा हूँ तुम्हारा माँ ......................
प्रहरी हु तेरे आँचल का माँ पाषण में भी बसते हैं तेरे प्राण माँ "
देर आए दुरुस्त आए ... WELCOME BACK ...
ReplyDeletewelcome sir
ReplyDeleteअमृता जी मुझे माफ़ कर दो ..
ReplyDeletekis amrita se mafi mangi ja rahi hai ....??
@ हरकीरत ' हीर' .............ज़रा कान इधर करो ........अमृता प्रीतम
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