Wednesday 23 September, 2009

आज दर्पण साह "दर्शन" का जन्म-दिन हैं ................ और मेरी कल्पना का बड़ा दिन हैं ............दिन और रात बराबर ............23 september

मिट्टी के दीपक में तारों का सजना ,
धरती के ख्वाबों का बादल बन उड़ना ,
हवाओं में आंधी की ताकत का होना ,
तूफानों का मेरे घर में आकर के रुकना ,
आगन में तुलसी का पौधा लगा हैं ,
मेरी माँ का हर रोज़ सज़दे में रहना ,
सुबह-शाम मोहोबत्त का कलमा यूँ पढना ,
मेरे घर की दीवारे जड़वत नहीं हैं ,
वो हिलती हैं लेकिन गिरती नहीं हैं ,
टकरा कर मुझसे एक दीवार बोली -तूफ़ान से कह दो वो आये संभल कर ,
टूटे हैं सपने कई बार लेकिन, आँखों में आँसूं ठहरते नहीं हैं ,
मोहोबत्त की मर्जी हैं काँटों पर चलना ,
वफाओं का दिल में अहसास लेकर ,
कई दोस्त मिलते हैं ,मिलकर बिछड़ते ,मिलना-बिछड़ना वफ़ा के किनारे ,
वफ़ा एक नदी हैं जो बहती ही जाती ,
कोई दोस्त आता हैं अपना सा बनकर सज़दे में मैं हूँ और कलम की मोहोबत्त ,
कागज़ पर चलती हैं अहसास बनकर ,
दिल में उतरती हैं कोई ख्वाब बनकर ,..................................

और आज मेरे दोस्त दर्पण का जन्म दिन हैं ................
ख्वाबों की दुनिया में हकीक़त हैं "दर्शन", 
हम सब जिसे कहते हैं दर्पण साह "दर्शन".............  



 सलाम दोस्त मैं रूठ ही गया होता तेरे अचानक से 23 september  ka equinox  बता देने पर ....................पर वफ़ा की नदी में बहकर पहुँच रह हूँ  प्राची के पार ......................निसंदेह हर स्वस्थ्य रचना शील समाज को आलोचना की आवशकता होती ही हैं ...............इसी क्रम मैं मैं चाहूँगा तुम्हारा आलोचक भी बनूँ ,...........................सारथी को अचानक से बताओगे कि आज 23 september  हैं तो रथ थोडा बहुत हलचल करेगा  ही हलाकि होगा कुछ भी नहीं मैंने कहा न ,मेरे घर की दीवारे हिलती हैं लेकिन ढहती नहीं ...............मोहोबत्त,मित्रता ...........कभी ढह भी नहीं सकती ................... ढह गयी तो कुछ था ही नहीं .............ढकोसला था .........और मित्र मैं  ढकोसला ,नहीं तुम्हारा मित्र  होना चाहता हूँ .................मुंशी प्रेम चन्द्र कह गए हैं - प्रेम गहरा होता हैं ,मित्रता और भी गहरी ......................इसीलिए कहते नहीं हैं ?.............. माँ-बाप बेटी-बेटे ...............को सिर्फ़ बेटा बेटी माँ बाप ही नहीं दोस्त भी होना चाहिय ................दांपत्य तो बिना मित्रता के ढकोसला ही हैं  ......मित्रता तो इंसानों का विशेषाधिकार हैं ............ .......सो जन्म दिन के साथ मित्रता मुबारक ..............