Sunday 19 April, 2009

शांती संदेश

आरम्भ करो आव्हान करो ,ओ पथ के प्रहरी ,हैं लोकतंत्र एक महायुद्द , हाँ जीवन इसमे अपना कुछ बलिदान करो ,थको नही तुम ,रुको नही तुम ,बड़े चलो ,
हो जो भी शत्रु लोकतंत्र का ,शिव बनकर उसका संहार तुम ,
नेता जो तुम्हे सताता हैं ,वोट मांगने आएगा
चाहे मुख से कुछ कहो न कहो ,पर परिवर्तन का वोट चुनो ,
हो दुविधा जब भी मन में कि एक सापनाथ हैं ,एक नागनाथ हैं किसको मैं सरकार चुनू
ना इसे चुनो ना उसे चुनो
बन जाओ अर्जुन ,श्री कृष्ण चुनो
हाँ संविधान का बंधन हैं ,पर तेरे स्वर में भी दम हैं ,
हैं पथ के प्रहरी ,जीवन हैं तेरा जीने को जी भर के जी ले इसको
पर देख ज़रा मात्रभूमि की छाती में खुनी खंज़र इस भ्रष्ट तंत्र के
कुछ जीवन अपना तू ,माँ को दे ,दे ,
उसका ही यह प्राण हैं तेरा ,
तो उठा धनुष बन कर अर्जुन ,कि शिव का हैं वरदान तुझे और कृष्ण सदा तेरे साथ रहे ,
दुर्योधन अभी मरा नही हैं ,शकुनी हैं चालक बड़ा ,
ध्रतराष्ट्र का सामंतवाद धरती पर इतना फ़ैल चुका ,कि अब आकाश को भी लील रहा ,
और इस अन्धें का छल तो देखों ,कि तुझको भी यह साध रहा ,
अब बजा शंख और लोकतंत्र का वाण चला ,जाने दे सामंतवाद के सीने में ,
होगी थोडी तो कठिनाई उसको यहाँ फ़िर जीने में ,
यह शत्रु बड़ा भयंकर हैं -पर वीर नही हैं तो कायर छलता हैं तुझको तेरी ही अपनी शक्ती से
हैं पथ के प्रहरी धीर धरो ,अपनी शक्ती को पहचानो ,कुछ करतब एसा दिखलाओ कि ,
सामंतवाद के पहिए को चलने में कुछ तो अड़चन हो ,
ना इधर देख ,ना उधर देख ,हो निडर खड़ा ,धनुष चडा और वाण चला ,
इन सामंती संतानों पर ,सत्ता के पैरोकारों पर ,
भ्रष्टाचार की छाह में ज़न्मी सामंती संतानें हैं ये ,
सच्चाए की धुप में आख़िर कब तक टिक पाएंगी ये गंदी नस्लें ,
सीने में तेरे जवानी हैं ,शत्रु भ्रष्ट-खानदानी हैं ,
ना प्रश्न् पूछ ना उतेर दे ,संवाद का युग तो बीत गया ,
tu वाण नही अब आग चला
कि भ्रष्टाचार तो जल ही जाए सच्चाई के अग्नी में ,
बन महापुरुष ,कर महाप्रलय कि शिव हैं वरदान तुझे , कृष्ण सदा तेरे साथ रहे
अब ब्रह्म्मास्त्र की बारी हैं ,धरती तेरी आभारी हैं .......................................


प्रेमांचल: जीवन तेरा ,प्रेम हैं मेरा

प्रेमांचल: जीवन तेरा ,प्रेम हैं मेरा