मेरे अंतस की भ्रष्ट पाखण्ड प्रिय हरकतों ...............आदतों
ज़रा खुबसूरत ख़त लिखने की भी थोड़ी इज़ाज़त दो .
कि ज़रा ज़िक्र हो मेरी मोहोबत्त का ज़रा सा ,
मेरे सारे दिन और सारी रात लील लो ...... मैं शपथपूर्वक कथन कहता हूँ मैं आजीवन भ्रष्टचार के व्यसन में लिप्त रहूगा ............
बस एक रात की इज़ाज़त दे दो ............सुबह ही वापसी करुगा .
अपने सपने को एक निहायत ज़रूरी गर्भ में रोप आने के बाद ........................