कल वकील साब बतिया रहे थे हमारी अदालतों में पेंडिंग पड़े कोई तीन करोड़ मुकदमो के बारे में सो लगे हाथ मैंने पूछ मारा कि- टेलीविजन पर सच का सामना करने वास्ते बाबरी भीड़ को देख लगे हैं मानों हम सबों में हरिशचंद्र का खून आज तलक दोड़ रिया है मिया वकील साब ,पर समझ में नी आवे अदालत में गीता की कसम खाके हरिश्चंदों के ब्लड का हिमोग्लोबिन भला क्यों कम हो जावे , वकील साब बोले यार तुम इन्नोसेंसे में समझते नही हो , मैं बोलियो आप समझा दो नी कनिगनेस को तड़का मार के यारा ,, वी बोलिया दरअसल हमारी सबसे बड़ी तकनीकी दिक्कत ऐसी हैं कि सोसाइटी में कहने जैसी नही हैं ,मैंने की तुम और मैं ,वेरी अवे फ्रॉम द सोसाइटी ,ज़ल्दी बोलो ,कहने लगे सुनो अदालत के अंदर की बात हैं ,हम धर्मं निरपेक्ष हैं यही दिक्कत हैं ,मैंने कहा कैसे ,बोले ऐसे मैं आदित्य कुरान पर हाथ रखकर कसम खाता हूँ जो भी बोलूगा सच बोलूगा ,और तुम आफ़ताब बाइबल पर हाथ रखकर खा लो ,अभी जानसन आवेगा तो गीता पर हाथ रखकर नी खावेगा क्या ?
...................................और अब एक पीड़ित व्यक्ती की सलाह
मालिक हम सभी को चार तरह के कोट से बचाए
अ । सफेद्कोट (डॉ )
ब। कला कोट (वकील साब )
स । खाकीकोट (पुलिस)
और ..............
द । पेटीकोट (का से कहूँ पीर जिया की ?)
और चलते - चलते बचपन में सुना चिट्कुला
दो दोस्त आदित्य और आफ़ताब ,एक गणित का अध्यापक और दूजा वकील काला कोट वाला ,
आपस में लड़ गए ,सच्चे दोस्त इसी तरह मचलते हैं ,एक ने कहा वकालत का कोई सानी नही ,
गणित की इज्ज़त का सवाल था भई - दूजा बोल पड़ा बिना गणित के तुम ,,झूठ कैसे बोलेगा ,कितना बोलेगा ,कब कब बोलेगा ,इतना सब कैसे याद रखेगा वकील साब ,
वकील साब गुस्से में बोले तुमने जितने गरीब बच्चो से पैसे लेकर tution
दी हैं मैं उस सब का अदालत में खुलासा करूंगा ,गणित वाला कहने लगा मैं उससे पहले तुम्हे कोष्टक में रखकर जेरो से भाग लगा दूंगा .......................................
ऋषभदेव शर्मा के काव्य में स्त्री विमर्श
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*शोध पत्र *
ऋषभदेव शर्मा के काव्य में स्त्री विमर्श
*- विजेंद्र प्रताप सिंह*
हिंदी में विमर्श शब्द अंग्रेजी के ‘डिस्कोर्स‘ शब्द के पर्याय के रूप में
प...
9 years ago
रोचक पोस्ट।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
अच्छा लगा मुस्कराहट के साथ . आपका चुटकी लेने का तरीका वकीलों पर तारो ताज़ा लगा.
ReplyDeletebhai saab...
ReplyDelete...kya maths lagai hai (aftaab) * 0 = nahi nahi mujhe to batane main bhi lazza aati hai saab !
:)