Thursday, 16 April 2009

जीवन तेरा ,प्रेम हैं मेरा

तेरे आँचल की खूश्बू में थोडी थोडी धूप घुली हैं ,

आँचल में एक टुकडा मेरा तेरे अंतस का पारस पत्थर ।

बारिश में जब तुम भीगी ,बारिश रूककर देख रही थी ,

भीग गयी थी वो भी जालीम तेरे सावन -भादों में ,

यौवन की जब झड़ी लगी थी ,नदिया सी तू मौन खड़ी थी ,

कामदेव के जतन वो सारे कहने को थे कितने प्यारे ,थका थका सा जीवन मेरा ,

बारिश में बारिश से पहले भीग गया में तेरे अंदर , रिमझीम बारिश देख रही थी

प्रेमशास्त्र के नए काव्य को ,नया नही हैं प्रेम सनातन ,शाश्वत हैं सोंदर्य का दर्पण ,

मैं कहता हु तो सुन लो जानम ,लावण्यामई तुम प्रीत हो मेरी ,

भरत मुनी के नाट्य शास्त्र सी ,

कथा ,कहानी ,और कविता ,खजुराहो का कामशास्त्र भी ,

जीवन नित चन डोल रहा हैं ,मन मयूर बन नाच रहा हैं ,

न्रत्यांगना बन जाओ जानम ,बादल कब से तरस रहा हैं ,

बारिश में तुम और तुम्हारी नृत्य साधना और तपेगी ।

कामशास्त्र और योगशास्त्र की दूरी सचमुच और घटेगी ..............

7 comments:

  1. बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

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  2. न्रत्यांगना बन जाओ जानम ,बादल कब से तरस रहा हैं ,
    बारिश में तुम और तुम्हारी नृत्य साधना और तपेगी ।
    कामशास्त्र और योगशास्त्र की दूरी सचमुच और घटेगी ..............
    सुन्दर रचना है ...........bhaav पूर्ण...........मीठे छंद .............मधुर कविता

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  3. चाहे जीवन में फूल खिले
    पहले काँटों से प्यार करो
    जीने की लगन लगी हो तो
    पहले मरना स्वीकार करो
    खुशामदीद
    स्वागतम
    हमारी बिरादरी में शामिल होने पर बधाई
    जय हिंद

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  4. सुन्द्र अभिव्यति श्ब्दो का सयोजन और भाव दो्नो सुन्दर है।ब्लोग जगत मे आपका स्वागत है। सुन्दर रचना। मेरे ब्लोग ्पर पधारे।

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  5. जीवन के सतरंगी रंग , प्रेम मैं डूबी आँखों के संग

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  6. जीवन के सतरंगी रंग , प्रेम मैं डूबी आँखों के संग

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