रतज़गे की आदत मुझको बचपन से तो नही ,
बस यूँ ही जागता रहता हूँ इनदिनों
सच तो ये हैं अब सोने कि कोई चाहत ही नही
हा मुझे याद हैं एक बार रात के सन्नाटे में सुनी थी एक चीत्कार
चेतना के पार महाचेतना कि झंकार
पर ना जाने क्यों मेरे यौवन ने वहां जाने से कर दिया इंकार
सोचता रहा हूँ रातों रातों ,सिर्फ़ उस एक रात की बात
दिल की तड़प अकेली थी उस वक्त
वक्त का वो दौर ........................... .............................
अब कौन दोहराएगा ...........
ऋषभदेव शर्मा के काव्य में स्त्री विमर्श
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*शोध पत्र *
ऋषभदेव शर्मा के काव्य में स्त्री विमर्श
*- विजेंद्र प्रताप सिंह*
हिंदी में विमर्श शब्द अंग्रेजी के ‘डिस्कोर्स‘ शब्द के पर्याय के रूप में
प...
10 years ago

vartman paristhiti main ratjage to chal rahe hai ; apni surksha ko lekar ratjaga , apni mehtavkanshao ke ratjage .. intzar hai us ratjage ka jab yuva pidi desh ki unnati aur vikas ke liye ratjaga karegi.... vandematram
ReplyDeleteदिल की तड़प अकेली थी उस वक्त
ReplyDeleteवक्त का वो दौर ......
अब कौन दोहराएगा .
बहुत खूब, लाजबाब !